Ali Wale Jahan Baithe Wahin Jannat Bana Baithe Hindi Lyrics
फ़क़ीरों का है क्या चाहे जहाँ बस्ती बसा बैठे
अली वाले जहाँ बैठे वहीँ जन्नत बना बैठे
अली वाले जहाँ बैठे वहीँ जन्नत बना बैठे
फ़राज़-ए-दार हो, मक़्तल हो, ज़िन्दाँ हो के सहरा हो
जली इश्क़-ए-अली की शम्अ और परवाने आ बैठे
अली वाले जहाँ बैठे वहीँ जन्नत बना बैठे
कोई मौसम, कोई भी वक्त, कोई भी इलाका हो
जहाँ ज़िक्र-ए-अली छेड़ा वहाँ दीवाने आ बैठे
जहाँ ज़िक्र-ए-अली छेड़ा वहाँ दीवाने आ बैठे
अली वाले जहाँ बैठे वहीँ जन्नत बना बैठे
अली के नाम की महफ़िल सजी शहर-ए-ख़मोशां में
थे जितने बा-वफ़ा वो सब के सब महफ़िल में आ बैठे
थे जितने बा-वफ़ा वो सब के सब महफ़िल में आ बैठे
अली वाले जहाँ बैठे वहीँ जन्नत बना बैठे
अली वालों के मरने का है बस इतना सा अफ़साना
चले अपने मकां से और अली के दर पे जा बैठे
चले अपने मकां से और अली के दर पे जा बैठे
अली वाले जहाँ बैठे वहीँ जन्नत बना बैठे
इधर रुख़्सत किया सब ने उधर आए अली लेने
यहाँ सब रो रहे थे हम वहां महफ़िल सजा बैठे
यहाँ सब रो रहे थे हम वहां महफ़िल सजा बैठे
अली वाले जहाँ बैठे वहीँ जन्नत बना बैठे
अली वालों के नारों ने रज़ा ऐसा समां बांधा
कि ख़ुद मौला भी अपने नाम का नारा लगा बैठे
कि ख़ुद मौला भी अपने नाम का नारा लगा बैठे
शायर:
रज़ा सिरस्वी