Mujhe Kya Khabar Thi Kahan Meri Manzil Lyrics
Mujhe Kya Khabar Thi Kahañ Meri Manzil
मुझे क्या ख़बर थी कहां मेरी मन्ज़िल
दुनिया ने जब भी हम पर कोई इल्ज़ाम रख दिया
हमने मुक़ाबले में तेरा नाम रख दिया
अब जिसके जी में आए वोही पाय रौशनी
हमने तो दिल जला के सरेआम रख दिया
कभी जीते जीते मैं मर गया
कभी मरते मरते मैं जी उठा
मेेेरी जाने-जां तेरा शुक्रिया
मुझे जीना मरना सिखा दिया
अजब तमाशा है मिट्टी से बने लोगों का
बेवफ़ाई करो तो रोते हैं वफ़ा करो तो रुलाते हैं
जिस वक़्त हुजूम-ए- मस्ती हो
इंसां का संभलना मुश्किल है
उठ जाए जो इनकी एक नज़र
फिर होश में रहना मुश्किल है
गुमराह हुई है अक़्ल फ़ना
ले आया कहां ये ज़ौक़-ए तलब
कल उनका समझना मुश्किल था
आज अपना समझना मुश्किल है
मुझे क्या खबर थी कहां मेरी मंज़िल
मुझे क्या खबर थी कहां मेरी मंज़िल
मुझे इश्क़ तेरा यहां खेंच लाया …
मैंने जाना कहां था कहां आ गया
दिल ये लुटना कहां था कहां लुट गया
मुझे क्या ख़बर थी कहां मेरी मंज़िल
मुझे इश्क़ तेरा यहां खेंच लाया …..
बुतकदा नज़दीक काबा दूर था
मैं इधर ही रह गया मजबूर था
मुझे क्या खबर थी कहां मेरी मंज़िल
मुझे इश्क़ तेरा यहां खेंच लाया
तुझे छोड़कर मैं कहीं जा सका ना
मुझे तूने ऐसे दीवाना बनाया …
न ग़रज़ हरम के बक़ार से
ना तो बुतकदे कि बाहर से
हमें काम है दरे यार से
दरे यार फिर दरे है
मुझे क्या ख़बर थी कहां मेरी मंज़िल
मुझे इश्क़ तेरा यहां खेंच लाया …
तुझे मैंने चाहा है दिल की निगाह से
के महसूस तुझको किया मैंने खुद में
तसव्वुर जुदाई का कैसे करूं मैं
जहां मैंने चाहा वही तुझको पाया ..
हरम में शैख़-ए हरम बे-क़रार बैठे हैं
खुदा निभाना उन्हें दिल वोह हार बैठे हैं
निगाह यार ने बक्शी तो मैंने यह समझा
लिबास-ए यार में परवरदिगार बैठे हैं
तसव्वुर जुदाई का कैसे करूं मैं
जहां मैंने चाहा वहीं तुझको पाया ..
बसी मेरी आंखों में सूरत तुम्हारी
गुनह होगा जो मैं कोई और देखूं …
ग़ैर देखा है ना ग़ैरों की नज़र देखी है
मेरी नज़रों ने फ़क़त तेरी नज़र देखी है
मैने वोह कुफ़्र किया कुफ़्र भी कुफ़्र-ए आज़म
तेरी नज़रों के सिवा और अगर देखी है
बसी मेरी आंखों में सूरत तुम्हारी
गुनह होगा जो मैं कोई और देखूं …
तुम्हारी क़सम है नहीं होश मुझको
निगाहों से तुमने ये क्या है पिलाया ….
हम होश भी अपना भूल गये
ईमान भी अपना भूल गये
इक दिल ही नहीं उस बज़्म में हम
ना जाने क्या क्या भूल गये
तुम्हारी क़सम है नहीं होश मुझको
निगाहों से तुमने ये क्या है पिलाया ….
धड़कता ये दिल भी तुम्हारे लिए है
तेरा प्यार इसको जिला दे रहा है
व-गरना कहां मैं कहां शान तेरी
करम है के क़दमों से मुझको लगाया …
करम किया मुझे अपना बना लिया तूने
व-गरना कहां मैं कहां शान तेरी
करम है के क़दमों से मुझको लगाया …
मुझे बंदा परवर जुदा अब ना करना
तेरे पास रहने की आदत पड़ी है
तुम्हारी वजह से ही इज़्ज़त मिली है
मैं जी ना सकूंगा जो दामन छुड़ाया …
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